सब करो वन्दना गणपति की,
मिलकर के जय जयकार करो,
मिलकर के जय जयकार करो,
खिलकर के जय जयकार करो,
बस भाव भरी ही भक्ति से,
विघ्नेश्वर का सत्कार करो।
गौरा जी जिनकी माता हैं,
महादेव पिता जगदाता हैं,
वो सबके भाग्यविधाता हैं,
उन चरणों को नमस्कार करो,
सब करो वन्दना गणपति की,
मिलकर के जय जयकार करो।
जो चतुर्भुजी कहलाते हैं,
चूहे पर चढ़कर आते हैं,
और मोदक जिनको भाते हैं,
ऐसे प्रभु से सब प्यार करो,
सब करो वन्दना गणपति की,
मिलकर के जय जयकार करो,
निर्धन की झोली ये भरते,
अन्धे को नैन अर्पण करते,
कोड़ी की पीड़ा ये हरते,
गर अर्जी बारम्बार करो,
सब करो वन्दना गणपति की,
मिलकर के जय जयकार करो।
तुम पै फूल चढ़े और मेवा,
सब देवों के हो तुम देवा,
पुरुषोत्तम अनिल की सेवा,
हे नाथ आज स्वीकार करो,
सब करो वन्दना गणपति की,
मिलकर के जय जयकार करो।
गायक – अजय बृजवासी
लेखक – पुरुषोत्तम फौजी